jigar pandya


पर्सनल डायरी
 
मेरे पन्नो को पलटना मत 
वरना आँखों मैं पानी आजाये गा 
किसी का दर्द जो समाया है मुझमे 
वो तेरे आंसू से धुन्दला हो जाये गा .. 
 
आंसू की एक बूंद भी जो मेरे तन पर गिरी 
तो मेरा होना  होना एक सा हो जाये गा 
किसी के तन्हाई का साथी हु मैं .... 
मेरे बगेर वो फिर तनहा हो जाये गा 
 
कुछ  राज़ उसके दिल के लिखती है मुझ पर
वो तो मैं समाज जाता हु ... 
कुछ वो छोड़ देती है वक़्त पर 
जिसका दर्द महेसुस करता हु उसके सिनेसे लिपटकर 
 
कभी मुस्कुराके चूम लेती है मुजको 
कभी सर रख कर खयालो मैं खो जाती है 
डर तभी लगता है मुजको जब बिना लिखे 
अपनी ख़ामोशी को मेरे पन्नो पे खाली छोड़ जाती है.
 
बस कुछ पल उस पल के साथ गुजरता हु 
जिंदगी के खास लम्हों की याद बनकर रहे जाता हु 
मेरे पन्नो पे है उस पल की कहानी 
जिसकी कदर सिर्फ उसने ही जानी.
 
हो सके तो उसी की जुबानी सुनना मुझे 
बिना पूछे छूना ना मुझे ... 
कुछ अनकही  बातों का इज़हार हु मैं 
किसी की जिंदगी का दूसरा नाम हु मैं ....

jigar pandya