jigar pandya

मेरा चाँद 



(घर के खिड़की से असमा मैं प्रेमी प्रेमिकाको देख कहता है.)


 कहे   
दू जो तुम्हे चाँद अगर,

तो चाँद भी शर्मा जाएगा,
देख कर तेरी हर एक अदा,
हर दिन अमावस मनाएगा.                    

चाँद की चाँदनी के लिए,

कितने सारे तारे जिलमिलाते है,
बस एक बार पास अनेको उसके,
अपने आपको उसकी और गिरते है.

कैसे कहे दू मैं चाँद तुम्हे ,

सारे असमा मे दीवाली होज़ायगी,
तेरी बाहो मैं गिरने के चाह मैं,
सारे तरो की बारात चली आएगी............

( प्रेमिका हस कर मूह लटकाकर इतराते अंदर चली गई )


माँगते रहेते हो ना चाँद बार बार मुजसे,

सो लो लेके आया हू कुछ उस से भी बढ़के.
बंद करलो ये आँखे और थम लो जिगर अपना,
अपनी खामोशियो का इज़हार करने आया हू,

दिल मैं छुपी है जो एक बात मेरे,

वो बात मैं तुम्हे बता ने आया हू.
जुल्फे हटा के देख लो दर्पण मे चेहरा अपना,
तुम्हे तुमसे ही आज मैं मिलवाने लाया हू........

अब कहो? कैसे कहे दू मैं चाँद तुम्हे!

चाँद तो शर्मा ही जाएगा!!!
देख के तेरी हर एक अदा
बेचारा रोज़ आमावस्या मानएगा....


जिगर पंड्या





0 Responses

Post a Comment