jigar pandya
छेड़ती है हवाए मुझे आज कल,
किन खयालोमे खोये रहेते हो.
वक्त गुझरता रहता है मगर,
तुम कहा ठहर जाते हो?
खुद पर यकि करू या,
यकि करू उस खुदा पर.
कुछ रोज़ पहेले मिल आया हु मै,
साँस लेते हुवे ताज महल से ......
सामने वो होते है फिर भी,
दिलको मेरे याकि क्यों नहीं होता.
वो खुबसूरत है या उनका ख्याल,
दोनों मैं कोई फर्क क्यों नहीं होता।।।
रास्ता भूल चुके है आँखों मे उनकी,
दिल तक जाने का कोई मोड़ तो बता देना.
ए हवा, मुझसे पहेले मिल जाये जो तू उसे ,
तो हेल दिल रहो मैं उनकी बिछा देना.
उनकी मर्ज़ी अगर "ना" हुई तो,
वो ख़ुशी हमारी आखरी होगी.
अगर उनकी मर्ज़ी "हा" हुवी तो, ए हवा ,
हमारे दर्मिया तेरे लिए कोई जगह ना होगी.
जिगर पंड्या
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
बारिश की बुँदे
ये बारिश की बुँदे क्या गिरी
सारा समां बदल गया.
न चाहा था कभी ऐसा होगा
पर प्यार हो ही गया.
वो आये कुछ इस कदर हमारे पास
मानो किसी ने की हो साजिश बडे अरसो के बाद.
हमने कभी जिसे पसंद ही ना किया था वो दलदल ही
बन गया उन्हें हमारे बाहों में गिराने की वजह खास.
ये तुम्हारी नजरो से हमारी नज़ारे क्या मिली
घायल ही होगये पल भर के लिए.
यु तो अपनी तरफ खीचा ना था किसी ने पहेले
एक ही पल में बेगाने होगये हम अपने ही दिल से
गुलाबी होठो पे था पानी के बूंदों का बसेरा
कोई देना दे मेरे प्यासे लबो को नया सवेरा.
मिटटी की खुशबू थी या थी तेरे जिस्म की महक
रोम रोम में जगा रही थी अनोखी कसक
अपने ही दिल की डोली सजा रहे थे हम
बिन शहनाई के विदाई की रस्म निभा रहे थे हम.
तीखी नजरो से उन्होंने इशारा क्या कर दीया
संभल ना था उनको, और खुद को ही गिरा दीया.
कसके भर लिया उन्होंने हमे अपनी बाहों में
और हलके से चूम लिया हमारे गालो को
नजरो से तो पि ही रहे थे हम ,
होठो से भी पिला दीया ......
ना चाहा था कभी ऐसा होगा, पर प्यार हो ही गया ..................
:- जिगर पंड्या
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
jigar pandya
मेरे पन्नो को पलटना मत
वरना आँखों मैं पानी आजाये गा
किसी का दर्द जो समाया है मुझमे
वो तेरे आंसू से धुन्दला हो जाये गा ..
वरना आँखों मैं पानी आजाये गा
किसी का दर्द जो समाया है मुझमे
वो तेरे आंसू से धुन्दला हो जाये गा ..
आंसू की एक बूंद भी जो मेरे तन पर गिरी
तो मेरा होना न होना एक सा हो जाये गा
किसी के तन्हाई का साथी हु मैं ....
मेरे बगेर वो फिर तनहा हो जाये गा
तो मेरा होना न होना एक सा हो जाये गा
किसी के तन्हाई का साथी हु मैं ....
मेरे बगेर वो फिर तनहा हो जाये गा
कुछ राज़ उसके दिल के लिखती है मुझ पर
वो तो मैं समाज जाता हु ...
कुछ वो छोड़ देती है वक़्त पर
जिसका दर्द महेसुस करता हु उसके सिनेसे लिपटकर
कुछ वो छोड़ देती है वक़्त पर
जिसका दर्द महेसुस करता हु उसके सिनेसे लिपटकर
कभी मुस्कुराके चूम लेती है मुजको
कभी सर रख कर खयालो मैं खो जाती है
डर तभी लगता है मुजको जब बिना लिखे
अपनी ख़ामोशी को मेरे पन्नो पे खाली छोड़ जाती है.
कभी सर रख कर खयालो मैं खो जाती है
डर तभी लगता है मुजको जब बिना लिखे
अपनी ख़ामोशी को मेरे पन्नो पे खाली छोड़ जाती है.
बस कुछ पल उस पल के साथ गुजरता हु
जिंदगी के खास लम्हों की याद बनकर रहे जाता हु
मेरे पन्नो पे है उस पल की कहानी
जिसकी कदर सिर्फ उसने ही जानी.
जिंदगी के खास लम्हों की याद बनकर रहे जाता हु
मेरे पन्नो पे है उस पल की कहानी
जिसकी कदर सिर्फ उसने ही जानी.
हो सके तो उसी की जुबानी सुनना मुझे
बिना पूछे छूना ना मुझे ...
कुछ अनकही बातों का इज़हार हु मैं
किसी की जिंदगी का दूसरा नाम हु मैं ....
बिना पूछे छूना ना मुझे ...
कुछ अनकही बातों का इज़हार हु मैं
किसी की जिंदगी का दूसरा नाम हु मैं ....
jigar pandya